जितना बडा प्लाट होता है, उतना बडा बंगला नही होता !!
जितना बडा बंगला होता है,उतना बडा दरवाजा नही होता !!
जितना बडा दरवाजा होता है ,उतना बडा ताला नही होता !!
जितना बडा ताला होता है , उतनी बडी चाबी नही होती !!
परन्तु चाबी पर पुरे बंगले का आधार होता है।
इसी तरह मानव के जीवन मे बंधन और मुक्ति का आधार मन की चाबी पर ही निर्भर होता है।
है मानव....तू सबकुछ कर पर किसी को परेशान मत कर,जो बात समझ न आऐ उस बात मे मत पड़ !
जितना बडा बंगला होता है,उतना बडा दरवाजा नही होता !!
जितना बडा दरवाजा होता है ,उतना बडा ताला नही होता !!
जितना बडा ताला होता है , उतनी बडी चाबी नही होती !!
परन्तु चाबी पर पुरे बंगले का आधार होता है।
इसी तरह मानव के जीवन मे बंधन और मुक्ति का आधार मन की चाबी पर ही निर्भर होता है।
है मानव....तू सबकुछ कर पर किसी को परेशान मत कर,जो बात समझ न आऐ उस बात मे मत पड़ !
No comments:
Post a Comment