ईश्वर "टूटी" हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है, जैसे
"बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है"
"मिट्टी टूटने पर खेत का रुप लेती है"
"पौधा टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है" और
"बीज टूटने पर एक नये पौधे की संरचना होती है"
इसीलिये जब आप "ख़ुद" को टूटा हुआ महसूस करे तो समझ लिजिये ईश्वर आपका इस्तेमाल किसी बड़ी "उपयोगिता" के लिये करना चाहता है।
Agree?
जय श्री कृष्णा......
"बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है"
"मिट्टी टूटने पर खेत का रुप लेती है"
"पौधा टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है" और
"बीज टूटने पर एक नये पौधे की संरचना होती है"
इसीलिये जब आप "ख़ुद" को टूटा हुआ महसूस करे तो समझ लिजिये ईश्वर आपका इस्तेमाल किसी बड़ी "उपयोगिता" के लिये करना चाहता है।
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