Monday, December 21, 2015

माँगेगे। नहीं मिलेगा।


जब तक तुम माँगेगे। नहीं मिलेगा। जिस दिन तुम छोड़ दोगे। उसी दिन मिल जाएगा। तुम भागेगे और सुख छलता रहेगा। भागता रहेगा तुम्‍हारी परछाई की तरह। तुमसे दो कदम हमेशा आगे, तुम उसे भाग कर पकड़ नहीं सकते। छू नहीं सकते, तुम धन के पीछे भागते हो पर पकड़-पकड़ कर भी कहां पकड़ पाते हो। पाते हो अपने खाली हाथ।

 फिर तुम यह कैसे मान सकते हो की मैं उसके पीछे न भागू तो मिले जायेगा। पर सच्‍चाई यहीं है। जो दिखाई देती है। जीवन उसके विपरीत कहीं गहरे रहस्‍य छूपाये होता है अपने सीने में। तुम रूक जाओ और सुख तुम्हारे चरणों में लोट आयेगा।।




जय श्री कृष्णा......

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