एक मछली छोटे तालाब में अपने परिवार के साथ रहती थी तालाब में पानी कभी भी सुख जाता था तो उस परमपिता परमेश्वर को याद करती थी पूजा तप आदि खूब किया करती थी एक दिन तेज़ तूफ़ान और बारिश आयी जिससे मछली का परिवार बहकर नदी में बहने लगा और मछली ने व् उसके परिवार ने नदी के विपरीत दिशा में बहने की काफी कोशिश् की और थक हारकर नदी के प्रवाह में ही बहकर ईश्वर को खूब कोसा और भला बुरा कहा और कुछ दिन में ही समुन्दर में पहुच गये। और वहाँ जाकर उनको अहसास हुआ क़ि ईश्वर ने हमको दरीया से निकालकर विशालता में ला दिया उसने हमारे जीवन में तूफ़ान लाकर अपने विशाल स्वरुप से जोड़ दिया ।अत: हर पल उसकी रजा में राजी रहो वो पूरा समुन्दर दे रहा है और हम एक चम्मच लेकर खड़े है ।हम उसके हर कार्य के लिए कोसते रहते है negetive सोचते रहते है ।अपनी सोच बदलो हर पल positive सोचो एक माँ अपने बच्चे का एक पल के लिए भी बुरा नहीं सोच सकती तो फिर वो पालनहार कैसे बुरा क्ऱ सकता है|||
जय श्री कृष्णा......
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