Monday, December 14, 2015

!!प्रफुल्लित आदमी!!

!!प्रफुल्लित आदमी!!

उदासी न हो,
उदासीनता न हो,
उपेक्षा न हो–यह भक्ति का सारसूत्र है।
उदास आदमी परमात्मा से टूट जाता है।
उदासी से कैसे जुड़ोगे?
तुमने देखा, जब कोई आदमी उदास होता है
तो उससे संवाद करना तक मुश्किल हो जाता है!
अगर उदास आदमी के पास तुम जाओ तो तुम पाओगे
उसके चारों तरफ एक दीवाल है,
जिसके भीतर प्रवेश करना कठिन है।
उदास आदमी अपने में बंद हो जाता है।
उदास संकोच लाता है।
प्रफुल्लित आदमी खुल जाता है;
जैसे कली खिल गयी;
जैसे बीज फूट पड़ा,
अंकुर निकल आया।
प्रसन्न आदमी से संबंध बनाना बड़ा सरल होता है,
बड़ा सरल होता है!
जो आदमी मुस्करा रहा है,
उससे दोस्ती बनानी बड़ी आसान होती है,
उससे संवाद करना बहुत आसान होता है।
लंबे चेहरे, उदास चेहरे,
गंभीर चेहरे–उनके साथ संबंध बनाना कठिन हो जाता है;
उनसे सेतु नहीं बनता।
जब यह साधारण हालत है,
तो तुम उस हालत को तो सोचो,
जब तुम परमात्मा से मिलने चले।
उदास चेहरे लेकर जाओगे,
मिलन नहीं हो सकेगा।
तुम्हारा उदास चेहरा ही बाधा बन जाएगा।
नाचते हुए जाओ।
जो भी गया है,
नाचता हुआ गया है।

जय श्री कृष्णा......
 

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