एक राजा का दरबार लगा हुआ था,
क्योंकि सर्दी का दिन था
इसलिये राजा का दरवार
खुले मे लगा हुआ था.
पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थी
..
महाराज के सिंहासन के सामने एक शाही मेज थी
और उसपर कुछ कीमती चीजें रखी थीं.
पंडित लोग, मंत्री और दीवान आदि सभी दरबार मे बैठे थे
और राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे..
..
उसी समय एक व्यक्ति आया
और प्रवेश माँगा व प्रवेश मिल गया
तो उसने कहा "मेरे पास दो वस्तुएं हैं,
मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ
और अपनी बात रखता हूँ
पर कोई परख नही पाता
सब हार जाते है और
मै विजेता बनकर घूम रहा हूँ"..
अब आपके नगर मे आया हूँ
राजा ने बुलाया और कहा
"क्या बात है"
तो उसने दोनो वस्तुएं उस
कीमती मेज पर रख दीं..
वे दोनों वस्तुएं बिल्कुल
समान आकार, समान रुप रंग,
समान प्रकाश सब कुछ नख-शिख
समान था..
...
..
राजा ने कहा ये दोनो वस्तुएं तो एक हैं.
तो उस व्यक्ति ने कहा
हाँ दिखाई तो एक सी ही देती है
लेकिन हैं भिन्न.
इनमें से एक है बहुत कीमती हीरा
और एक है काँच का टुकडा
लेकिन रूप रंग सब एक है.
कोइ आज तक परख नही पाया
क़ि कौन सा हीरा है
और कौन सा काँच का टुकड़ा..
.
..
कोइ परख कर बताये की ये हीरा है
और ये काँच..
अगर परख खरी निकली
तो मैं हार जाऊंगा
और यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी मे जमा करवा दूंगा.
पर शर्त यह है क़ि यदि कोइ
नहीं पहचान पाया
तो इस हीरे की जो कीमत है
उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी..
इसी प्रकार से मैं कइ
राज्यों से जीतता आया हूँ..
..
राजा ने कहा मै तो नही परख सकूगा..
दीवान बोले हम भी हिम्मत नही कर सकते क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है..
सब हारे कोई हिम्मत नही जुटा पा रहा था..
..
हारने पर पैसे देने पडेगे
इसका कोई सवाल नही था,
क्योंकि राजा के पास बहुत धन था,
पर राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी इसका सबको भय था..
कोई व्यक्ति पहचान नही पाया..
..
आखिरकार पीछे थोडी हलचल हुई
एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा..
उसने कहा मुझे महाराज के पास ले चलो मैने सब बाते सुनी है
और यह भी सुना है कि कोई परख नही पा रहा है एक अवसर मुझे भी दो..
..
एक आदमी के सहारे वह राजा के पास पहुंचा..
उसने राजा से प्रार्थना की
मै तो जनम से अंधा हू
फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये
जिससे मै भी एक बार अपनी बुद्धि को परखूँ और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊं
और यदि सफल न भी हुआ तो वैसे भी आप तो हारे ही है..
राजा को लगा कि इसे अवसर देने मे क्या हर्ज है
राजा ने कहा क़ि ठीक है..
तो तब उस अंधे आदमी को दोनो चीजे छुआ दी गयी और पूछा गया इसमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच....??
..
यही तुम्हें परखना है..
..
कथा कहती है कि उस आदमी ने एक क्षण मे कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच..
..
जो आदमी इतने राज्यो को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया..
और बोला "सही है आपने पहचान लिया..
धन्य हो आप...
.
...
अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ "
..
सब बहुत खुश हो गये
और जो आदमी आया था
वह भी बहुत प्रसन्न हुआ
कि कम से कम कोई
तो मिला परखने वाला..
उस आदमी, राजा और अन्य
सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई
कि तुमने यह कैसे पहचाना
कि यह हीरा है और वह काँच..
..
उस अंधे ने कहा की
सीधी सी बात है मालिक
धूप मे हम सब बैठे है..
मैने दोनो को छुआ
..
जो ठंडा रहा वह हीरा .. .
जो गरम हो गया वह काँच...
.
.
.
..
जीवन मे भी देखना
जो बात बात मे गरम हो जाये,
उलझ जाये वह काँच
और
जो विपरीत परिस्थिति मे भी ठंडा रहे वही हीरा है..!!
जय श्री कृष्णा......
No comments:
Post a Comment