'पापा और बेटी'"
रविवार का दिन है 'अंजली' जो 15 साल की है अपनी गुड़िया के लिए लहंगा सिल रही है वही बरामदे मे बैठे उसके पापा पेपर पढ़ रहे है माँ रसोई घर मे खाना बनाने मे व्यस्त है 'अंजली' अपनी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा रही है
अंजली: पापा, देखो मेरी गुड़िया को दुल्हन लग रही है न?
पापा: हाँ तेरी गुड़िया तो बड़ी हो गई है, उसके लिए दुल्हा ढूँढना होगा।
अंजली: पापा आप दुल्हा ढूँढ़ दोगे?
पापा: हां, मै तेरी गुड़िया के लिए 'श्री राम' जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा।
अंजली: नही पापा 'श्री राम' जैसा नही चाहिये , उन्होने माता सीता को कोई सुख नही दिया , उनकी 'अग्नी परीक्षा' ली, उसके बाद प्रजा की खुशी के लिए सीता को जंगल मे भटकने के लिए छोड़ दिया, ऐसे लड़के से मै अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती!
पापा: ठीक है तू चिन्ता मत कर श्री कृष्ण जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा।
अंजली: श्री कृष्ण की तरह जो राधा से प्यार करे रूपमणी से शादी करे और गोपियो के साथ रास-लिला करे, नही.. ऐसे लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती।
पापा: ठीक है बेटी अजुर्न की तरह धनुष धर तो चलेगा?
अंजली: नही पापा, अजुर्न के जैसा भी नही चलेगा अपनी पत्नि को जुआ मे हारने वाले लड़के के हाथ मै अपनी गुड़िया का हाथ नही दे सकती!
पापा: अब मै क्या करूँ तेरी गुड़िया के लिये दुल्हा ढूँढ नहीं पाया!
अंजली: रहने दो पापा, मै 'आज के भारत' की बेटी हूँ, पहले मैं अपनी गुड़ियां को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाऊंगी , उसे इतना गुणवान बनाऊंगी कि लड़के वाले मेरी गुड़िया का हाथ मांगने खुद आयेगे उस वक्त मेरी गुड़िया जिसको अपने काबिल समझेगी उसी से उसकी शादी होगी।
पापा: बहुत अच्छा , उनका ध्यान पेपर से हट गया , वह सोच मे डूब गये आज बात अंजली कि गुड़िया की हो रही है , कुछ दिन बाद मेरी गुड़िया 'अंजली' बड़ी होगी उस वक्त कहां से दुल्हा आयेगा, जो उनकी अंजली के काबिल होगा मेरी बेटी के कितने उच्च विचार है वह अपनी गुड़िया का हाथ कितना सोच-समझ कर लायक लड़के के हाथ मे देने की बात कर रही है और मै क्या कर रहा हू अपनी गुड़िया के लिये! वो सोच मे डूबे रहते है
अंजली: पापा आप क्या सोच रहे हो?
पापा: कुछ नही कुछ दिन बाद तु भी बड़ी हो जायेगी और अपने ससुराल चली जायेगी।
अंजली: पापा मुझे बड़ा नही होना
ससुराल नही जाना!
पापा: क्यों बेटी?
हर लड़की का सपना होता है कि उसे अच्छा ससुराल मिले!
अंजली: होता होगा पर मुझे शादी नही करना शादी होने के बाद आप मुझे पराया कर दोगे।
पापा: नही बेटी, ऐसी बात नही है।
अंजली: पापा, मुझे याद है, बुआ हमारी अपनी थी. आपने और दादी ने उनकी शादी के बाद पराया कर दिया था. वो ससुराल वालो से परेशान हो कर दादी के पास रोती थी. दादी कहती , बेटी तुम्हारी तकदीर मे यही लिखा था. शादी तोड़ी नहीं जाती , जैसे भी हो तुझे वहीं रहना होगा. मायके से बेटी डोली मे विदा होती है. ससुराल से अर्थी पर विदा होती है . यही लड़की का भाग्य है।
पापा: बेटी ऐसी बात नही है!
अंजली: पापा आपने भी बुआ के लिए कुछ नही किया।
पापा: बेटी उस समय कि बात कुछ और थी. अब सब ठीक है।
अंजली: पापा, कुछ नहीं बदला, आपका समाज उस समय जैसा था, आज भी वैसा ही है . मेरे साथ भी वही होगा और आप चुपचाप देखोगे!
पापा: नहीं बेटी तुम्हारे साथ ऐसा कभी नही होगा तुम्हारे ससुराल वाले अच्छे होगे।
अंजली: इसकी कोई गारंटी है?
पापा: आशा करता हूं, कि अच्छा ससुराल और अच्छा दुल्हा ढूँढ पाऊं
अंजली: पापा मेरी थोड़ी सी अंगुली जल गई थी तो मै कितना रोई थी उन्होने तो बुआ को ही जला दिया, कितना रोई होगी . इतना बोल कर रोने लगी!
पापा पेपर फेंक कर अंजली को गले लगा लेते है और खुद भी रोने लगते है। रोने की आवाज़ सुनकर अंजली की मम्मी दौड़ कर आई और पूछने लगी: क्या हुआ. बाप-बेटी क्यो रो रहे हो?
पापा: मैने अंजली को कहा कि तुम्हें भी ससुराल जाना होगा इस बात पर वह रो रही है।
मम्मी: अभी शादी कहां हो रही है आज इतना रो रहे हो तो विदाई के समय कितना रोओगे! चल बेटी, पापा तुझे चुप क्या करायेंगे , ये तो खुद रो रहे है!
अंजली को लेकर उसकी मम्मी उसके कमरे में ले गये . अंजली बहुत रो रही थी, वह रोते-रोते सो गई।
इधर 'पापा' बरामदे में बैठे बेटी कि बातों से चिंतित रो रहे है
मम्मी: जी क्या हुआ आप दोनो इतना क्यों रो रहे थे?
पापा: मेरी बहन को उसके ससुराल वालो ने जलाकर मार दिया था . वो घटना अंजली को याद है. और दिल मे डर बन कर बैठ गया है . वह शादी के नाम से डरती है।
मम्मी: उस समय तो वह सिर्फ 8 साल की थी!
पापा: हां पर उसे सब याद है!
मम्मी: अब क्या होगा
पापा: उसके इस डर को धीरे- धीरे निकालना होगा आज तुम्हारे सामने अपने आप से एक वादा करता हू मैं अपनी बेटी का हाथ उसी के हाथ में दूंगा जो उसे पलकों पर बैठा कर रखेगा। , इसके लिए अंजली को गुणवती बनाना होगा ताकि ससुराल वाले उसकी कद्र करे।
मम्मी: हां जी . आप ठीक बोल रहे हो जो गलती एक बार हुई वह दुबारा नही होगी।
पापा: मैनें अपनी बहन खोया है बेटी नही खो सकता . मेरी बेटी का "दुल्हा" वही होगा जो उसे और उसकी भावनाओं को समझेगा चाहे वो मेरी पसंद का हो या मेरी बेटी के पसंद का। मैं अब इस समाज के डर से कुछ भी खोने के लिए तैयार नही हूँ ॥
Radhekrishna...
रविवार का दिन है 'अंजली' जो 15 साल की है अपनी गुड़िया के लिए लहंगा सिल रही है वही बरामदे मे बैठे उसके पापा पेपर पढ़ रहे है माँ रसोई घर मे खाना बनाने मे व्यस्त है 'अंजली' अपनी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा रही है
अंजली: पापा, देखो मेरी गुड़िया को दुल्हन लग रही है न?
पापा: हाँ तेरी गुड़िया तो बड़ी हो गई है, उसके लिए दुल्हा ढूँढना होगा।
अंजली: पापा आप दुल्हा ढूँढ़ दोगे?
पापा: हां, मै तेरी गुड़िया के लिए 'श्री राम' जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा।
अंजली: नही पापा 'श्री राम' जैसा नही चाहिये , उन्होने माता सीता को कोई सुख नही दिया , उनकी 'अग्नी परीक्षा' ली, उसके बाद प्रजा की खुशी के लिए सीता को जंगल मे भटकने के लिए छोड़ दिया, ऐसे लड़के से मै अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती!
पापा: ठीक है तू चिन्ता मत कर श्री कृष्ण जैसा दुल्हा ढूँढ़ दूँगा।
अंजली: श्री कृष्ण की तरह जो राधा से प्यार करे रूपमणी से शादी करे और गोपियो के साथ रास-लिला करे, नही.. ऐसे लड़के से मैं अपनी गुड़िया की शादी नही कर सकती।
पापा: ठीक है बेटी अजुर्न की तरह धनुष धर तो चलेगा?
अंजली: नही पापा, अजुर्न के जैसा भी नही चलेगा अपनी पत्नि को जुआ मे हारने वाले लड़के के हाथ मै अपनी गुड़िया का हाथ नही दे सकती!
पापा: अब मै क्या करूँ तेरी गुड़िया के लिये दुल्हा ढूँढ नहीं पाया!
अंजली: रहने दो पापा, मै 'आज के भारत' की बेटी हूँ, पहले मैं अपनी गुड़ियां को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाऊंगी , उसे इतना गुणवान बनाऊंगी कि लड़के वाले मेरी गुड़िया का हाथ मांगने खुद आयेगे उस वक्त मेरी गुड़िया जिसको अपने काबिल समझेगी उसी से उसकी शादी होगी।
पापा: बहुत अच्छा , उनका ध्यान पेपर से हट गया , वह सोच मे डूब गये आज बात अंजली कि गुड़िया की हो रही है , कुछ दिन बाद मेरी गुड़िया 'अंजली' बड़ी होगी उस वक्त कहां से दुल्हा आयेगा, जो उनकी अंजली के काबिल होगा मेरी बेटी के कितने उच्च विचार है वह अपनी गुड़िया का हाथ कितना सोच-समझ कर लायक लड़के के हाथ मे देने की बात कर रही है और मै क्या कर रहा हू अपनी गुड़िया के लिये! वो सोच मे डूबे रहते है
अंजली: पापा आप क्या सोच रहे हो?
पापा: कुछ नही कुछ दिन बाद तु भी बड़ी हो जायेगी और अपने ससुराल चली जायेगी।
अंजली: पापा मुझे बड़ा नही होना
ससुराल नही जाना!
पापा: क्यों बेटी?
हर लड़की का सपना होता है कि उसे अच्छा ससुराल मिले!
अंजली: होता होगा पर मुझे शादी नही करना शादी होने के बाद आप मुझे पराया कर दोगे।
पापा: नही बेटी, ऐसी बात नही है।
अंजली: पापा, मुझे याद है, बुआ हमारी अपनी थी. आपने और दादी ने उनकी शादी के बाद पराया कर दिया था. वो ससुराल वालो से परेशान हो कर दादी के पास रोती थी. दादी कहती , बेटी तुम्हारी तकदीर मे यही लिखा था. शादी तोड़ी नहीं जाती , जैसे भी हो तुझे वहीं रहना होगा. मायके से बेटी डोली मे विदा होती है. ससुराल से अर्थी पर विदा होती है . यही लड़की का भाग्य है।
पापा: बेटी ऐसी बात नही है!
अंजली: पापा आपने भी बुआ के लिए कुछ नही किया।
पापा: बेटी उस समय कि बात कुछ और थी. अब सब ठीक है।
अंजली: पापा, कुछ नहीं बदला, आपका समाज उस समय जैसा था, आज भी वैसा ही है . मेरे साथ भी वही होगा और आप चुपचाप देखोगे!
पापा: नहीं बेटी तुम्हारे साथ ऐसा कभी नही होगा तुम्हारे ससुराल वाले अच्छे होगे।
अंजली: इसकी कोई गारंटी है?
पापा: आशा करता हूं, कि अच्छा ससुराल और अच्छा दुल्हा ढूँढ पाऊं
अंजली: पापा मेरी थोड़ी सी अंगुली जल गई थी तो मै कितना रोई थी उन्होने तो बुआ को ही जला दिया, कितना रोई होगी . इतना बोल कर रोने लगी!
पापा पेपर फेंक कर अंजली को गले लगा लेते है और खुद भी रोने लगते है। रोने की आवाज़ सुनकर अंजली की मम्मी दौड़ कर आई और पूछने लगी: क्या हुआ. बाप-बेटी क्यो रो रहे हो?
पापा: मैने अंजली को कहा कि तुम्हें भी ससुराल जाना होगा इस बात पर वह रो रही है।
मम्मी: अभी शादी कहां हो रही है आज इतना रो रहे हो तो विदाई के समय कितना रोओगे! चल बेटी, पापा तुझे चुप क्या करायेंगे , ये तो खुद रो रहे है!
अंजली को लेकर उसकी मम्मी उसके कमरे में ले गये . अंजली बहुत रो रही थी, वह रोते-रोते सो गई।
इधर 'पापा' बरामदे में बैठे बेटी कि बातों से चिंतित रो रहे है
मम्मी: जी क्या हुआ आप दोनो इतना क्यों रो रहे थे?
पापा: मेरी बहन को उसके ससुराल वालो ने जलाकर मार दिया था . वो घटना अंजली को याद है. और दिल मे डर बन कर बैठ गया है . वह शादी के नाम से डरती है।
मम्मी: उस समय तो वह सिर्फ 8 साल की थी!
पापा: हां पर उसे सब याद है!
मम्मी: अब क्या होगा
पापा: उसके इस डर को धीरे- धीरे निकालना होगा आज तुम्हारे सामने अपने आप से एक वादा करता हू मैं अपनी बेटी का हाथ उसी के हाथ में दूंगा जो उसे पलकों पर बैठा कर रखेगा। , इसके लिए अंजली को गुणवती बनाना होगा ताकि ससुराल वाले उसकी कद्र करे।
मम्मी: हां जी . आप ठीक बोल रहे हो जो गलती एक बार हुई वह दुबारा नही होगी।
पापा: मैनें अपनी बहन खोया है बेटी नही खो सकता . मेरी बेटी का "दुल्हा" वही होगा जो उसे और उसकी भावनाओं को समझेगा चाहे वो मेरी पसंद का हो या मेरी बेटी के पसंद का। मैं अब इस समाज के डर से कुछ भी खोने के लिए तैयार नही हूँ ॥
Radhekrishna...
No comments:
Post a Comment