Monday, December 7, 2015

दुख का पता जब चलता है जब वो सर के उपर आता है


एक राजा अपने लश्कर के साथ नाव में लौट रहा था..
राजा ने कुछ गुलाम भी खरीदे थे जो उसी नाव में लौट रहे थे.
जैसे ही नाव चली तो एक गुलाम डर के मारे चिल्लाने लगा क्यों की वो कभी नाव में बैठा नहीं था.
परेशान राजा ने वजीर से कहा की इसे चुप कराओ..
राजा की बात सुनके वजिर ने उसे चुप कराने का प्रयत्न किया और ना चुप रहने पर आखिर कार उसे पानी में फेंक दिया.
फिर वजीर ने कहा इसे पानी से निकालो, पानी से निकाल ने के बाद गुलाम चुप बैठ गया.
राजा ने कहा वजीर ये क्या माजरा है, गुलाम एकदम से चुप कैसे बैठ गया.. वजीर ने कहा जहापनाह ये गुलाम नाव में सुरक्षित बैठने का आराम और पानी में डूबने की तकलीफ नहीं जानता था,
जब इसे पानी में फेंका गया तब इसे समझ में आया की नाव में सुरक्षित बैठना क्या होता है..


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